Monday, April 16, 2007

एक नई शुरूआत

पिछले कई दिनों से इस कोशिश में था कि अपनी भाषा, हिंदी भाषा में एक अदद, ऐसा ब्लॉग मिले, जो काम का हो। हो सकता है कि मेरी तलाश का तरीका ग़लत होगा। ये भी हो सकता है कि मैं खुद न जानता हूं, कि मुझे किस चीज़ की तलाश है। लेकिन जो भी हो, कई दिनों की मशक्कत के बाद मुझे अपनी भाषा का एक भी अच्छा ब्लॉग नहीं मिला।
उसके ऊपर, मेरी तलाश का एक पैमाना और था। मुझे मीडिया से जुड़ा एक ऐसा ब्लॉग तलाशना था जो मुझे मेरे देश की मीडिया में हो रहे बदलावों और उसके सही मायनों का मतलब समझा सके। कई मिले। कुछ ऐसे जो चार दोस्तों ने शुरू किए हैं। वो चारों की ही किसी न किसी अख़बार या फिर टीवी चैनल से जुड़े हैं। और आपस में एक दूसरे की टांग खींचने के मज़े ले रहे हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि उनके ये विचार (अब अच्छे हैं या बुरे.. इसमें मैं पड़ना नहीं चाहुंगा।), इंटरनेट के ज़रिए सभी तक पहुंचाने का मौका मिल रहा है।
ग़लती उनकी नहीं है। ग़लती है तकनीक ही।
जब मैं छोटा था तो मुझे समझाया गया था कि आज़ादी के साथ-साथ ज़िम्मेदारी भी आती है। लेकिन अफसोस, अपने देश की मीडिया को गाली देने वाले ये भी स्वयंभू पत्रकार, ये भूल चुके हैं कि इंटरनेट आज का सबसे ताकतवर मीडिया है। और उसमें लिखे जाने वाले ब्लॉग, हर किसी को उपलब्ध हैं। तो ऐसे में जो मैं, या आप लिख रहे हैं वो पुराने लोगों पर तो है ही, साथ ही, नए लोगों पर असर डाल रहा है।
मुझे ऐसा कतई नहीं लगता कि भारतीय मीडिया पूरी तरह से गर्क की तरफ़ जा रही है। मेरा मानना है कि जहां चार खराब चैनल या अख़बार लिखे जा रहे हैं, वहीं, कहीं न कहीं, अच्छे काम भी हो रहे हैं। जहां एक तरफ, दर्शक यही चाहता है, का नारा लेकर काम हो रहा है, वहीं, काम का क्या है, का विचार भी किया जा रहा है।
और मेरी इसी तलाश और सही दिशा की कमी ने मुझे प्रेरित किया है, मीडिया नामा लाने के लिए।
सवाल ये है कि मीडिया नामा है क्या? मेरी नज़र में मीडिया नामा वो मंच है जहां पर सही मायनों में, दोस्ती, यारी, दुश्मनी को दरकिनार कर, भारतीय मीडिया पर चर्चा हो सके। ये वो मंच होगा जहां पर किसी भी विषय कि खिल्ली सिर्फ इसलिए नहीं उड़ाई जाएगी, क्योंकि वो फलां चैनल पर दिखाया गया था, या फिर फलां अख़बार में छपा। इस मंच पर उन खबरों को चटखारे ले कर नहीं लिखा जाएगा, जो कुछ चुनिंदा चैनलों या अख़बारों या पत्रिकाओं में टॉप की पोज़िशन सिर्फ इसलिए पाती हैं, क्योंकि वो चटखारे लेने लायक हैं।
और ध्यान दें कि मैं बार बार इसे मंच इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि ये शुरूआत भले ही मेरी हो, इस यात्रा का पहला कदम भले ही मेरा हो, लेकिन इसे पूरा करने में हर उस व्यक्ति का सहयोग ज़रूरी होगा, जो मीडिया नामा के विचारों से इत्तेफाक रखता हो, और जो देश की आने वाली पीढ़ी को कुछ देना चाहता हो।
इस मंच का सबसे महत्वपूर्ण काम, मेरे हिसाब से, ये होगा कि ये उन स्टूडेंट्स, युवा कामकाजी लोगों, नए ज़माने की महिलाओं और नया नज़रिया रखने वाले लोगों को एक सही राह दिखाने की कोशिश करेगा। कोई ख़बर, ख़बर क्यों है? इस ख़बर को तवज्जो मिली, इसे नहीं, ऐसा क्यों? इसका मेरे जीवन पर क्या असर पड़ेगा? कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब, इस मंच के ज़रिए तलाशे जाएंगे।
एक बार फिर से मैं ये कहना चाहता हूं, कि इस मंच को आगे बढ़ाने, इसे इसके मकसद तक पहुंचाने का काम हम सबका है, और इस काम में भाषा बाधा नहीं होगी। हालाकि इस मंच की शुरूआत हिंदी से कर रहा हूं, लेकिन अगर कोई अंग्रेज़ी में भी अपना योगदान देना चाहे, तो उसका स्वागत है
भारतीय मीडिया और उसके आने वाले भविष्य को शुभकामनाओं सहित

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